नव विहान का लेकर संदेशा भास्कर नभ पर शोभित है! नव विहान का लेकर संदेशा भास्कर नभ पर शोभित है!
बजे प्रकृति के साज, पुलक उठते वन उपवन बजे प्रकृति के साज, पुलक उठते वन उपवन
मटमैली चादर सी..., चहुँओर ही छाई है, "गोधुलि-बेला" हो आई है! मटमैली चादर सी..., चहुँओर ही छाई है, "गोधुलि-बेला" हो आई है!
जाग जा मेरे मन अब तू भी, रात ये बीती दिन ये नया है। जाग जा मेरे मन अब तू भी, रात ये बीती दिन ये नया है।
बजने लगते हिय में बाजे जब दिल के तार जुड जाते हैं। बजने लगते हिय में बाजे जब दिल के तार जुड जाते हैं।
नीड़ में बैठे बच्चों के हम, मुंह में पाया करते थे नीड़ में बैठे बच्चों के हम, मुंह में पाया करते थे